कितना सही है भाषा का स्थानीयकरण?

इसमें कोई दो राय नहीं है कि भाषा ग्राहक तक पहुंचने का बेहतरीन ज़रिया है। भाषा के जरिए आप क्या नहीं कर सकते, ग्लोबल इकोनॉमी के दौर में भाषा आपके संस्थान को आपके लक्षित वर्ग से जोड़ती है, हालांकि ये बेहद चुनौतीपूर्ण भी है। कई बाज़ारों में किए गए सर्वे इस बात की पुष्टि भी करते हैं।

आज पूरी दुनिया में 5000 से ज्यादा भाषाएँ बोली जाती हैं और हर भाषा किसी न किसी लिपि से संबंधित भी है। साथ ही इन भाषाओं की कई बोलियाँ भी हैं। एक समय तक खुद में ही सिमटे रहने वाले समाज, जो अन्य समाज से अलग-अलग रहते थे, उनकी भाषाएँ केवल उन तक ही सीमित रहीं। पर आज यातायात और संचार के माध्यमों ने तो पूरे विश्व का कायापलट ही कर दिया है। इन माध्यमों ने सारे विश्व को एक ग्लोबल विलेज में तब्दील कर दिया है। आपस की दूरियाँ को घटाकर सूचना को समाज के हर वर्ग तक पहुंचाने का बेहतरीन काम किया है।

सन् 2000-2018 के बीच इंटरनेट ने विश्व भर के क्षेत्रीय बाज़ारों जिनमें एशिया, अफ्रीका, लैटिन अमरीका और मध्य पूर्व के देशों में अपनी गहरी पैठ बना ली है। जिसका सीधा मतलब है कि आने वाले कुछ ही सालों में बहुत बड़ी संख्या में नए ग्राहक इंटरनेट के माध्यम से वैश्विक बाजार से जुड़ने वाले हैं। इस तरह से साथ जुड़ी हुई यह दुनिया एक बड़े बाज़ार को पनपने का बेहतरीन अवसर दे रही है।

हालांकि, इन क्षेत्रों में अपनी एक प्रमुख भाषा है जोकि अंग्रेजी नहीं है और इसकी ग्राहक पर अच्छी पकड़ भी है । इसलिए इन उत्पाद निर्माताओं के सामने एक बड़ी चुनौती है- भाषा की विविधता के बीच अपने उत्पाद की ग्राहक तक पहुंच बनाना। इस चुनौती का सामना बहु-राष्ट्रीय कंपनियों हर दिन करती हैं, हालांकि वे इस अवसर को वैश्वीकृत दुनिया की चुनौती रूप में अपने सामने रखती है।

इसे ब्रिटिश साम्राज्यवाद का अवशेष माने या अंग्रेजी का बेहतरीन प्रसार जिसके चलते ही सही पर अंग्रेजी की बुनियादी समझ इन बाज़ारों के उपभोक्ताओं को है। यह निर्णय लेना बेहद मुश्किल है कि क्या स्थानीय भाषा में उत्पाद और सेवाओं को पेश करना चाहिए या अंग्रेजी में ही उत्पाद को बने रहने देना चाहिए। यह एक साधारण निर्णय बिल्कुल नहीं है क्योंकि इसका सीधा असर राजस्व, ब्रांड छवि और विकास पर पड़ता है। हालांकि अंग्रेजी में बने रहना, कोई बुरा विचार नहीं है क्योंकि इससे प्रस्तुत सूचना के अर्थ, स्वर और शैली पर अपने नियंत्रण को बनाए रखने में मदद मिलती है – जोकि स्थानीयकरण का काम करने के लिए रखी गई कंपनियों की बजाय ज्यादा बेहतर है। हालांकि स्थानीयकरण को चुनने के अपने अच्छे कारण भी हैं और इस तरह अधिक लाभ भी प्राप्त करा जा सकता है, मगर साथ ही नुकसान का सामना भी करना पड़ता है।

क्या ग्राहक अपनी स्थानीय भाषा अधिक पसंद करते हैं?

एक अध्ययन में [2] बताया गया कि किसी उत्पाद का विवरण और ग्राहक के लिए उसकी भाषा में ऑनलाइन यूआई होने से उनकी खरीदने के निर्णय पर काफी असर होता है। हालांकि, यही रिपोर्ट बताती है कि यह प्रभाव सस्ते उत्पादों की बजाय महँगें उत्पादों पर अधिक है। इसलिए, जब उत्पाद खरीदने की बात आती है, तो ग्राहक पहले अपनी भाषा में जानकारी लेना ज्यादा पसंद करता है। एक अन्य अध्ययन [3] में बताया गया कि कुछ इतालवी छात्रों को दो विकल्प देकर एक उत्पाद चुनने के लिए कहा गया, जिसमें से – एक अंग्रेजी भाषा में और दूसरा इतालवी भाषा की पैकिंग में था। उन्होंने उसी पैकिंग वाले उत्पाद को चुना जो सिर्फ इतालवी में था। ध्यान देने वाली बात यह है कि वे छात्र खुद अंग्रेजी अच्छे से जानते थे। स्थानीय भाषा हमें ग्राहक के व्यवहार के मामले में अलग-अलग विशेषता बताने के साथ ही अन्य भाषाओं में भी ग्राहकों के व्यवहार को वर्गीकृत करने में मदद करती है।
गैलप [4] के एक सर्वे से पता चला है कि ~ 56% लोग ऑनलाइन उत्पादों की खोज और खरीदारी करने के लिए अपनी स्थानीय भाषा में उपलब्ध वेबसाइटों का ही उपयोग करते हैं।

स्थानीय भाषा और उसका योगदान

स्थानीय भाषाएं ग्राहक और उत्पाद के बीच जान-पहचान की भावना को विकसित करने में बेहतर साबित होती हैं। खासतौर पर ब्रांड और उसके उत्पादों पर ग्राहकों का विश्वास बनाने का काम बड़ी आसानी से करती हैं। यह विश्वास ब्रांड की छवि को बढ़ाने और बनाए रखने में बेहद जरूरी है।

इन सभी तथ्यों और अध्ययनों के आधार पर यही निष्कर्ष निकलता है कि ग्राहक स्थानीय भाषा को वरीयता देते हैं। यह तो साफ ही है कि भाषाई प्राथमिकता ग्राहक के व्यवहार में और राजस्व पर बहुत ही अधिक महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है। इसलिए, विश्वस्तरीय ग्राहकों की इन प्राथमिकताओं को अपनाकर दुनिया की तमाम एमएनसी ‘वैश्विक’ बनने का सपना देखती हैं। कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने इसी सोच को ध्यान में रखकर ही स्थानीयकरण के लिए अपनी सामग्री की आउटसोर्सिंग शुरू कर दी है। शायद यही वजह भी है कि वैश्विक स्थानीयकरण उद्योग उन कुछ उद्योगों में से था जो हालिया वैश्विक मंदी के दौरान भी सकारात्मक वृद्धि कर रहा था।

अब हर कंपनी ऐसा ही करने की होड़ में लगी है और लाभ भी पा रही है, तो क्या आप इसे नहीं अपनाँएगें?

संदर्भ:

[1] https://www.internetworldstats.com/stats.htm

[2] Can’t Read, Won’t Buy: Why Language Matters on Global Websites By Donald A. DePalma, Benjamin B. Sargent, and Renato S. Beninatto September 2006

[3] Cross-Cultural Consumer Behavior: Use of Local Language for Market Communication—A Study in Region Friuli Venezia Giulia (Italy) by Franco Rosa, Sandro Sillani & Michela Vasciaveo
Pages 621-648 | Journal of Food Products Marketing Volume 23, 2017 – Issue 6

[4] User language preferences online; Survey conducted by The Gallup Organization, Hungary upon the request of Directorate-General Information Society and Media

[5] The Influence of Language of Advertising on Customer Patronage Intention: Testing Moderation Effects of Race Muhammad Sabbir Rahman, Fadi Abdel Muniem Abdel Fattah, 1 2
Nuraihan Mat Daud and Osman Mohamad ; Middle-East Journal of Scientific Research 20 (Language for Communication and Learning): 67-74, 2014

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